अपने ख़्वाबो को टूटने से
बचाना है अगर
इनको हक़ीक़त की कसौटी पे
परखते रहिए
ये जो पलतें है ख़यालों में
यूहीं अक्सर
इनको जमाने की धूप भी
दिखाया करिए
मिल जाएँगे इन्हें और भी
संवारने वाले
अपने साथ औरों की उम्मीदें
भी जोड़े रखिए
हर ख़्वाब पूरे हों ये ज़रूरी
तो नहीं
अपनी क़िस्मत को यूँही शिद्दत से
आज़माते रहिए
टूट जायें कुछ ख़्वाब तो
बिखरना कैसा
उन बीजों से नये पौधे
लगाते रहिए
मैं पूरा हूँ ये ख़्वाब हैं बस
अंश मेरे
भर जाएँगे हर ज़ख़्म ख़ुद को
सम्हाले रहिए